कब हुआ था गीता का वाचन और इसका उद्देश्य क्या था ?

महाभारत काल, कुरुक्षेत्र का वह भयावह युद्ध, जिसमे भाई ही भाई के सामने शस्त्र लिए खड़ा था. वह युद्ध धर्म की स्थापना के लिए था. उस युद्ध के दौरान अर्जुन ने जब अपने ही दादा, भाई एवम गुरुओं को सामने दुश्मन के रूप में देखा तो उसका गांडीव (अर्जुन का धनुष) हाथो से छुटने लगा, उसके पैर काँपने लगे. उसने युद्ध करने में अपने आप को असमर्थ पाया. तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया. इस प्रकार गीता का जन्म हुआ. श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म की सही परिभाषा समझाई. उसे निभाने की ताकत दी. एक मनुष्य रूप में अर्जुन के मन में उठने वाले सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने स्वयम उसे दिया.उसी का विस्तार भगवत गीता में समाहित है, जो आज मनुष्य जाति को उसका कर्तव्य एवम अधिकार का बोध कराता हैं.
गीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया. जब गीता का वाचन स्वयम प्रभु ने किये उस वक्त कलयुग का प्रारंभ हो चूका था. कलयुग ऐसा दौर हैं जिसमे गुरु एवम ईश्वर स्वयम धरती पर मौजूद नहीं हैं, जो भटकते अर्जुन को सही राह दिखा पायें. ऐसे में गीता के उपदेश मनुष्य जाति को राह प्रशस्त करते हैं. इसी कारण महाभारत काल में गीता की उत्त्पत्ति की गई.
हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म हैं जिसमे किसी ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती हैं, इसका उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जगाये रखना हैं. कलयुग में गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ हैं जो मनुष्य को सही गलत का बोध करा सकता हैं.
कैसे मनाई जाती हैं गीता जयंती ? (Gita Jayanti Celebration)
  • इस दिन भगवत गीता का पाठ किया जाता हैं.
  • देश भर के इस्कॉन मंदिर में भगवान कृष्ण एवम गीता की पूजा की जाती हैं. भजन एवम आरती की जाती हैं.
  • महाविद्वान इस दिन गीता का सार कहते हैं. कई वाद विवाद का आयोजन होता हैं. जिसके जरिये मनुष्य जाति को इसका ज्ञान मिलता हैं.
  • इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं.
  • गीता के उपदेश पढ़े एवम सुने जाते हैं.
गीता जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन आती है, इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती हैं. भगवत गीता का पाठ किया जाता हैं. इससे मनुष्य को मोक्ष का मार्ग मिलता हैं.

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